15 दिन से अधिक पुराने आटे के पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं जिससे केवल हमारा पेट ही भरता है और शरीर को कोई पोषकता नहीं मिलती। गेहूँ का आटा 15 दिन, और बाजरा, ज्वार, जौ आदि का आटा 7 दिन से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए। सबसे अच्छा हाथ की चक्की से पिसा हुआ आटा होता है क्योंकि हाथ की चक्की से गेहूँ पीसते समय आटे का तापमान 25 से 30 डिग्री से ज्यादा नहीं होता है और हम उसे आसानी से स्पर्श कर सकते हैं और पीसते समय कम तापमान होने के कारण उसके सारे पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं, लेकिन आधुनिक चक्की से पिसा हुआ आटा इतना गर्म होता है कि, हम तुरन्त उसे स्पर्श तक नहीं कर सकते और अधिक तापमान होने के कारण उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। पुराने समय में हमारी मातायें हाथ की चक्की से ही गेहूँ पीसती थीं जिससे उनके गर्भाशय का व्यायाम होता था और गर्भाशय का लचीलापन बना रहता था जिसके कारण प्रसूति में सिजेरियन की आवश्यकता नहीं होती थी व सभी की सामान्य प्रसूति (Normal Delivery) होती थी ।
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